लेखनी प्रतियोगिता -07-Feb-2022 उम्मीदों की कतार
उम्मीदों की सभी कतारें लगती जा रही ,
जिंदगी भी धीरे-धीरे ढलती जा रही |
बच्चों से लगा रहे उम्मीदें कुछ कर जाने की,
उठते हुए तूफानों को पार कर जाने की |
जीवन ये किस मोड़ पर आ गया सबका,
अंधेरों में खो गया अब यहाँ हर तबका |
हौले हौले से जिंदगी जो मुस्कुराती थी बाहों में ,
अब दम तोड़ रही वो जीवन की बीच राहों में |
उम्मीदों की लंबी-लंबी कतारें लग गई ,
इन सभी के बीच में जिंदगी सिमट गई |
सुख दुख का दामन तुम पकड़े रहना ,
उम्मीदों को अपनी तुम जकड़े रहना |
धूप छांव तो आनी जानी जिंदगी में ,
रमा ले खुद को ईश्वर की बंदगी में |
पतझड़ का मौसम भी अब न रहेगा ,
फूलों सा दिल गुलशन में खिला रहेगा |
दुनिया में न आलम होगा लाचारी का ,
झाला खत्म होगा अब महामारी का |
उम्मीदों की सभी कतारों को हम पूरा करेंगे ,
मर भी जाएं चाहे सपनों का न चूरा करेंगे |||
प्रतियोगिता हेतु
शिखा अरोरा (दिल्ली)
Pratikhya
07-Feb-2022 03:51 PM
Wonderful
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सिया पंडित
07-Feb-2022 03:22 PM
Good
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